जीएनआई, सूडान: सूडान ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के खिलाफ एक याचिका दाखिल की है। इसमें सूडान ने यूएई पर गृह युद्ध के दौरान नरसंहार में मिलीभगत का आरोप लगाया है। सूडान का आरोप है कि यूएई रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) का समर्थन कर रहा है। हालांकि यूएई ने सूडान के आरोपों का खंडन किया। प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न सूडान पिछले दो साल से गृह युद्ध की चपेट में है। सूडान लाल सागर के किनारे स्थित है। तेल शिपिंग का यह अहम समुद्री मार्ग है। सूडान के पड़ोसी देश लीबिया में भी यूएई विद्रोही गुटों का समर्थन करता है।
यूएई के लिए सूडान क्यों खास?
साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट से बातचीत में किंग्स कॉलेज लंदन के मध्य पूर्व सुरक्षा विशेषज्ञ एंड्रियास क्रिग का कहना कि यूएई का प्राथमिक लक्ष्य सूडान में राजनीतिक प्रभाव बनाना है। यूएई की कंपनियां सूडान को एक अहम निवेश केंद्र के रूप में देखती है। सूडान खनिज और कृषि योग्य भूमि से संपन्न है। यूएई में इन चीजों की कमी है। सूडान के शोधकर्ता हामिद खलाफल्लाह का कहना है कि यूएई की रूचि इन्हीं प्राकृतिक संसाधनों में है। उनका कहना है कि लीबिया से सोमालिया तक यूएई का यही पैटर्न देखने को मिला है।
क्या सूडान के सोने पर यूएई की निगाहें?
सूडान सोने से संपन्न है। संयुक्त अरब अमीरात उसका सबसे बड़ा खरीदार है। यूएई की नजर सूडान के सोने पर भी है। स्विसएड की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में अफ्रीका से निर्यात सोने का 66.5 फीसदी हिस्सा तस्करी करके संयुक्त अरब अमीरात लाया गया था। इटली के ट्राएस्टे विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर फेडेरिको डोनेली का मानना अलग है। उनका कहना है कि सूडान में यूएई का हित सिर्फ सोने तक सीमित नहीं है। वह सूडान में सऊदी अरब के प्रभाव को काम करने में जुटा है। इसके अलावा राजनीतिक इस्लाम के प्रसार को रोकने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि यूएई इसे अपने लिए खतरा मानता है।